मंत्रालय: 
श्रम
  • बाल श्रम (निषेध और नियमन) संशोधन बिल, 2012 श्रम और रोजगार मंत्री, श्री मल्लिकार्जुन खड़गे द्वारा 4 दिसंबर, 2012 को राज्य सभा में पेश किया
     
  • यह बिल बाल श्रम (निषेध और नियमन) अधिनियम (एक्ट), 1986 में संशोधन का प्रस्ताव रखता है। एक्ट कुछ विशेष प्रकार के व्यवसायों में बच्चों को काम पर रखने पर रोक लगाता है और अन्य व्यवसायों में बच्चों के काम करने की स्थिति को नियमित करता है।
     
  • एक्ट के तहत 14 वर्ष की आयु से कम के बच्चों को कुछ विशेष व्यवसायों जैसे ऑटोमोबाइल वर्कशॉप, बीड़ी निर्माण, कालीन बुनाई, हथकरघा और पॉवर लूम उद्योग, खनन और घरेलू कार्यों में काम पर रखने पर रोक लगाई गई है। निःशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 को ध्यान में रखते हुए, बिल में सभी व्यवसायों में 14 वर्ष की आयु से नीचे के बच्चों को काम पर रखने पर रोक लगाने का प्रस्ताव रखा गया है सिवाय वहाँ जहाँ बच्चा स्कूल के बाद अपने परिवार की सहायता करता हो।
     
  • बिल में "किशोर" नाम के व्यक्ति का एक नया वर्ग जोड़ा गया है। 14 और 18 वर्ष की आयु के बीच के व्यक्ति को किशोर कहा जाता है। बिल में दिए गए खतरनाक व्यवसायों (खनन, ज्वलनशील पदार्थ और खतरनाक प्रक्रियाएँ) में किशोरों को काम पर रखने पर रोक है।
     
  • केंद्र सरकार बिल में शामिल सूची में से किसी भी खतरनाक व्यवसाय को जोड़ या हटा सकती है।
     
  • बिल में किसी भी बच्चे को काम पर रखने के लिए दंड को बढ़ा दिया गया है। इसमें खतरनाक व्यवसाय में किशोर को काम पर रखने के लिए दंड को भी शामिल किया गया है।
     
  • किसी बच्चे को काम पर रखने के लिए दंड को बढ़ा कर 6 महीने से दो वर्ष के बीच कारावास (अभी: 3 महीने से एक वर्ष) या 20,000 से 50,000 रुपए (अभी: 10,000 से 20,000 रुपए) जुर्माना या दोनों कर दिया गया है।
     
  • किसी किशोर को खतरनाक व्यवसाय में काम पर रखने के लिए दंड 6 महीने से दो वर्ष के बीच कारावास या 20,000 से 50,000 रुपए जुर्माना या दोनों है।
     
  • कानून के प्रावधानों को सही से लागू करना सुनिश्चित करने के लिए सरकार डिस्ट्रिक्ट मेजिस्ट्रेट को शक्तियाँ प्रदान कर सकती है।
     
  • बिल में सरकार को उन स्थानो पर समय-समय पर निरीक्षण करने का अधिकार दिया गया है जहाँ बच्चों और किशोरों के रोजगार पर रोक लगाई गई है।

 

यह रिपोर्ट मूल रूप से अंग्रेजी में तैयार की गयी थी।  हिंदी में इसका अनुवाद किया गया है।  हिंदी रूपांतर में किसी भी प्रकार की अस्पष्टता की स्थिति में अंग्रेजी के मूल सारांश से इसकी पुष्टि की जा सकती है।